Sunday, October 26, 2008

indianness

मुंबई में चल रहे यूपी -बिहार विरोधी दंगे राष्ट्र उपर एक ओर आफत समान ही है। उसको टालना ही चाहिए। और वो हो सकता है हम सब के सांजे प्रयोत्नो से .और करेंगे ही ....लेकिन....एक सबक सबको मिलना चाहिए कि खास करके इन्हिकों जो अपना प्रान्ता छोड़ कर अन्य प्रान्तोमें रहते है, ऐसे लोगो को शिखने का है कि जिस प्रान्त में रहते है वहां के रिवाजों को सम्मान दे .वहां के मूल निवासी को कभी भी नीचा न समजे .नही तो आज जो महाराष्ट्र में है कल वो किसी ओर प्रान्त में भी हो सकता है। ऐसे बहोत से अन्य प्रांतीय लोग गुजरातमें है जो गुजरात की सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि का भरपुर फायदा उठा रहे है और निवृत्ति के बाद भी यही बस जाते हे फिर भी गुजरात को निम्न दिखाने का एक भी मौका हाथ से जाने नही देते। गोधराकांड के दौरान हिन्दी सामयिको में जो गुजरात विरोधी मानसिकता दिखने को मिली उसे पढ़ते ही समज में आ जाता है की हमारे ही भारतीयों के मन में गुजरात के प्रति कितना विष भरा हुआ हे। और उसमे से कितने तो आराम से गुजरात में रहते हे लेकिन नाम कमाने की तुच्छ लालच में हकीकत के साथ खिलवाड़ करते हे। और आश्चर्य तो ईस बात का हे की एकाध आपवाद को छोड़कर किसीने भी उसका विरोध नही किया , बाकि ये तो सरेआम ज़ाहिर हे की गुजरात की गवर्मेंट या प्राइवेट कम्पनीओमें ऊँचे ओहदे पर अगर एक बार कोई नॉन-गुजराती आ जाए फिर वो अपनी ही लॉबी चलाता हे। ऐसी बौनी मनोवृत्ति ही "राज"वृत्ति को बढ़ावा देती हे। तो देशवासियों सावधान... कही हम ही हमारी नींव न हिलादे...